शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

घोर-मट्ठा, घोर-मट्ठा माएक मन में फुटै इन्होर

हिनकर डोका सनक आँखि के देखियौन आ सीपी सनक ठोर
मोथियाएल केश गाल सिनुरिया टहटह झहरैन धीप्पल नोर
घोर-मट्ठा, घोर-मट्ठा
राति इजोरिया झमझम नाचैन, है कतेक जल्दी भ गेलै भोर
कौआ कुर्ररल, पड़वा जागल नैहर-सासुर, भेलै सौंसे हहकोर
नवगछली के महमह मोजर कक्का-भैया करता कतेक अगोर
भाउजक सोझा थरथर काँपै फागुन माएक मन में फुटै इन्होर
घोर-मट्ठा, घोर-मट्ठा
कल्हुका जनमल, शीशो सन देह कदम्ब सन भेलै कोना चकोर
फागुन नञ दोखी! मन मे रहैए छपाएल ई बरमसिया हिलोर
घोर-मट्ठा घोर-मट्ठा घोर-मट्ठा, भरि गामहिं खाली मट्ठा-घोर
हिनकर डोका सनक आँखि के देखियौन आ सीपी सनक ठोर

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