अपने बनल छी इजोत'क बारीक यौ सरकार
घर-बाहर, सबतरि रस्ता हमर, अछि अन्हार
ठोहि पारि'क माए जे कानय, बेटा केहन लबार
देव-पितर सब रूसल, अछि सबहिक बंद केबार
नञ यौ अनका नञ, अपने के, सुनबै छी दुत्कार
जेते झपै छी होइत जाइत छी, बेसी आर उघार
जुनि बूझब हम अनका दै छी कोनो छूछ विचार
टूटल टाट, ओलती अछि टूटल, साबूत नञ चार
लबरी-फुसियाही पर, हँ भरि गाम पड़य हकार
जोतला खेत आ, समा-चकेवा आब अनचिन्हार
बारीक कहू, एहि इजोत संग हो केहन बेबहार
अपने बनि इजोत'क बारीक, करै छी होहो-कार
आ घर-बाहर, सबतरि रस्ता हमर अछि अन्हार
बारीक कहू, एहि इजोत संग, हो केहन, बेबहार
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