कहलक मनसा
सूति पहिरेबौ,
न-न सेरक पेड़ा
घर आबि हम देखल,
खाली टूटल सूप चंगेड़ा
पापी के मुहँ हम हारल
दुख उपजल खूब अनेरा
कानिक देखल
रुसिक देखल
देखल बहुबिध
देखल बहुते,
ठठा रहल अछि
अगबे कटहर केरा
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बुधवार, 25 मई 2016
कहलक मनसा
बुधवार, 18 मई 2016
ई, अजगुत
ई, अजगुत जे
ताकि रहल छी
नवका ठौर ठिकाना
नञ नञ गाम नञ हराएल
ज कही त छी हमहि भुतलाएल
की कहू कोना फुराएल
ज अपने स रहल पराएल
ई बूझल ऐ अछि त किए अछि
मुहँ झमाएल मन खौंझाएल
गाम आएल छी
ई अजगुत जे
पटना दिल्ली एत ओत स
लोक पूछैए, 'कहाँ हैं!'
कहि दैत छियै - - बेधड़क
'बाहर हैं, घर लौटकर बात करते हैं'
ई, अजगुत जे
गाम आएल छी,
माने, कोइलख में कोलख्यान!
आ बेधड़क कहै छियै जे,
बाहर हैं.!
गाम जाइ छी
गाम जाइ छी
फेर कहै छी गाम जाइ छी
रत्ती पत्ती लावैन लुत्ती
गाछी बिरछी सोन सेहनता
हं यौ कहलौं एतबे
अपन बेगरते गाम छी
अनत नञ यौ! गाम!
गाम जाइ छी
डीह डाबर अटकन मटकन
डोका डहकन अरिपन सरिपन
मुँह बिचकबैत उचकैत फुदकैत
गाम जाइ छी! गाम जाइ छी।
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