कहलक मनसा
सूति पहिरेबौ,
न-न सेरक पेड़ा
घर आबि हम देखल,
खाली टूटल सूप चंगेड़ा
पापी के मुहँ हम हारल
दुख उपजल खूब अनेरा
कानिक देखल
रुसिक देखल
देखल बहुबिध
देखल बहुते,
ठठा रहल अछि
अगबे कटहर केरा
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