सोमवार, 18 सितंबर 2017

नीक ने लगइए



नीक ने लगइए
-------------------
अहाँ जे एना जे चुपचाप रहै छी नीक ने लगइए
इअयै हँ, भीतरे-भीतरे हमरो मोन खूब कनइए

किछ त बाजू आबो देखिऔ बौआ केना तकइए
एहि गुमकी पर देखियौ नोरे-झोरे खूब हँसइए

जे हेतै से हेतै तहिया अखैन किए कोंढ़ फटइए
बेसाहे स सबहिक भानस केदनि खेत जोतइए

देखू आँखि क कोरे हँसी अहाँ क खूब चमकइए
एहि बयस मे पाबैन तिहार पर एना के रुसइए

की कम जे पनिबट्टिये स सदिखन पानि बहइए
जेहेने तेहने चार अछि तखनहि ने चार चुबइए

अहाँ एना जे, चुपचाप रहै छी नीक ने लगइए
इअयै हँ, भीतरे-भीतरे हमरो मोन खूब कनइए

ढला हुआ हुस्न और थका हुआ इश्क

ढला हुआ हुस्न और थका हुआ इश्क
जज्बात के कई रंग हुनर तो कोई नहीं 
मुसकुराते रहे खौफज़दा जो बेखबर इश्क
कभी नजर मिलीं नहीं आंख जो रोईं नहीं

रविवार, 17 सितंबर 2017

अहू लाट मे एलखिन नै बंबैया

अहू लाट मे एलखिन नै बंबैया
-------------------------------
एक त भौजी गोरे बड़
ऊपर स राति इजोरिया
बाढ़ि-पानि मे छप्पर-छैंया
मुुरुछल छैन ठोर सिनुरिया
अहू लाट मे एलखिन नै बंबैया


एक त भौजी गोरे बड़
ऊपर स राति इजोरिया

सात सेहनते भर लैन खोंइछा
सिनुर टिकुली धिप्पल मन पर
गरम तेल मे पचफोरना जेना पड़ैया

लुग्गा-लता अनका हाथे ठीक पठौलैन
ककरा लेल आब एकरा के पहिरैया

बात-बात पर बुच्ची बौआ खूब रुसैया
बूढ माए अथबल बाप हुनका नै सम्हरैया

कैंचा-टाका क हाल त बूझे जे करे कमैया
अहू लाट मे एलखिन नै बंबैया
ई मुहझौंसा छने-छने लाइन कटैया
हँसैत रहै छैथ जेना लबका नोट दू हजरिया
फेर पुछतैन के जे धुरखुर लागि किए मोन कनैया
मन खौंझाइल ज 
अजबारल त टबरे दूर रहैया

एक त भौजी गोरे बड़
ऊपर स राति इजोरिया

शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

एक अनावश्यक स्पष्टीकरण, नहीं तो!

एक अनावश्यक स्पष्टीकरण, नहीं तो!
-----------------------------------------
मैं जानता हूँ कि इधर मेरी कुछ मैथिली पोस्ट का अर्थ लगाने में कठिनाई महसूस कर रहेंगे। थोड़ी-बहुत कठिनाई तो वे भी महसूस कर रहे होंगे जो मैथिली बोलते लिखते पढ़ते समझते रहे हैं। तो फिर, यह जानते हुए भी मैं इस तरह की शैतानी क्यों कर रहा हूँ! असल में, मैं मैथिली का अपना जातीय ठाठ तलाश रहा हूँ। ठाठ माने रिदम। पुरुष वर्चस्व व्यवस्था में भाषा में पुंसकोड यानी मर्दाना रोआब बहुत तीखा होता है। मर्दाना रोआब से मुक्ति थोड़ा नहीं, बहुत कठिन है। हाल के दिनों में तो भाषा में खासकर राजनीतिक भाषा के रूप में बहु व्यवहृत हिंदी में तो यह मर्दाना रोआब बहुत तेजी से बढ़ा है। हिंदी में लिखते रहने की लगातार कोशिश करते हुए मैंने हिंदी में मर्दाना रोआब की बे-अदबी को न सिर्फ अपने तरीका से समझा है, बल्कि अपने स्तर पर महसूस भी किया है। मेरा थोड़ा बहुत परिचय बांग्ला भाषा से भी रहा है। बांग्ला भाषा में इस मर्दाना रोआब का असर कम है। अभी भी, अपने खून में हुगली के पानी की खनक सुनाई देती है मुझे। 
अभी मिथिलांचल में बाढ़ आई थी। बाढ़ में सबसे ज्यादा तकलीफ जिन चीजों के अभाव से ऊपजती है उन में पानी अहम है! चारो तरफ पानी। पानी से घिरे लोगों के पास पानी नहीं है। पीने-पचाने लायक पानी को बचाना जैसे बड़ा काम है वैसे ही भाषा के बढ़ते प्रवाह में बोलने-सुनने लायक भाषा को बचाना भी बड़ा काम है। मर्दाना रोआब के खतरे भोजपुरी में भी कम नहीं है, ऐसा मुझे लगता है, इसकी पुष्टि या इसका खंडन तो भोजपुरी को अधिक गहराई से जाननेवाले लोग ही प्रामाणिक ढंग से कर पायेंगे। अपेक्षाकृत मगही भाषा पर मर्दाना रोआब का असर कम है। मैथिली में भी इस मर्दाना रोआब का असर उतना नहीं है। हाँ तो, इस तरह समझा जा सकता है कि मैं मैथिली का अपना जातीय ठाठ तलाशते हुए उस के अंदर किंचित सक्रिय मर्दाना रोआब को निष्क्रिय deactivate करने की कोशिश कर रहा हूँ। मैंने तो जो भी सीखा है, दोस्तों से ही सीखा है। आप से अनुरोध है कि इस में मेरी मदद करें। मैथिली के संदर्भ में इस मर्दाना रोआब निष्क्रिय deactivate करने की कोशिश का नतीजा उत्साहबर्द्धक रहा तो फिर इसका लाभ अपनी हिंदी में भी मुझे मिलेगा। बस इतना ध्यान रहे, आपका, यानी प्राइमरी जनता विद्यालय का अल्प बुद्धि छात्र और आपके स्नेह का स्वाभाविक हकदार भी हूँ।

टिप्पी नाम देलखिन तारानंद वियोगी

हे यै.... सुनै छियै...
बहिर नै छी...
.........................
........................
कने दिखियो त...
आब देखवा जोगरक की रहि गेल अछि


000000

--------------

हे हे... हम जगले छी....
सुति नै होइए..! अन्हरा के जगने की, आ सुतने की.... फुसियाही सएँ लेल ... ! नीन कामै!

---------------------

यौ .. . यौ सरकार खसै छ त की होइ छै..
इह बताहि... एतै बएस भेल... इहो नै अनुभव भेल... सरकार खसै छै त सरकार फेर ठाढ़ भ जाइ छै... आर की होइ छै...सरकार खसै छै.. सरकार उठै छै... जेना घुघुमना... पुरान घर खसे, नव घर उठे... एत सब सरकार.. सरकारो के सरकार... ई सब नै पूछी...

----------------

दौड़-दौड़ अबै छैथ...बाप क कोंढ़ खेता से नै त एत हुड़िया राखल छैन... अजबारल बदमाश.. भुल्ली बिलाड़ि के घरे सिकार...

-----------------
हे चुप करै खूब चिन्है छियौ... बाप नवगछली में बेल टेबैत-टेबैत चितंग भेलैन आ ई एलाहे खोंइछा खोल ... भाग नै त खोंइचा छोड़ा देब...
-- हे एना नै... ! अछाहे कुकुर भुकै छै... कहलियौ ल त बुझलहि क... चोर छौ मन में चोर... मन क गप माने चोर क गप... चिरौरी ने ...
-------------------
इह्ह... भगल कि... सरंगपताली भूइंया डेढ़... आँखि मे पानि नै दलान पर पोखरि... खत्ते-लत्ते थुथुन रगड़ैत जीवन बीतलनि... एलाहे बड़का पंच-पछार...लिहो-लिहो... इस्स... गप्प करै छैथ.. ढेका कत आ साँची कत बुझिते नै छथिन ... गप ने लिअ हिनका स... रोजगार लिअ... हुनकर... छोहारा किसमिस स.... आ धुर जी..
-----------------------
हँ हँ! बाबू भैया... बड़का बऔआ... गिरहत सब मधुबनी कहै छथिन्ह... हम सब त मधमनि कहै छियै... मधमनि माने मिथिला क मध्यमणि... हकार ने बकार इस्स बड़का खौकार... हमर पिउ मधमनि... अइ धुर छोड़ू मध माने बीच... भेल... तंग करै छएँ... एक टा गप कहलियौ त खोइँचा छोड़बै छएँ... जो हम त कहबै मधमनि--मधमनि..मधमनि.. ..भेलौ संतोख...
-------------------
की सतनरैन भखै छी... सिब-सिब क... खोलू धरिया... उतरू पार, ई नदिया के इएह बेबहार... हाथ मे छदाम नै....मुँह मे लगाम... कत पटना.. कत दिल्ली, मनोरथ पूरअ चलला झंझारपुर निरमल्ली ... कहलैन बाबा छोड़ सकरी आ लपकअ ककरी... गौ माता पर हँसै छ बकरी... ने धान ने पान... हाथ मे खखरी... रे बदरी आगि जरौ तोहर मनोरथ मे .... मन छौ धगजरी....मुसहरी...
----------------
चूरा ने दही... चीनी लए छिछिऔनी... गत्तर में लाज ने घर मे अनाज ने... घर मे भूजी भाँग ने बुलेट क माँग...बुलेट लेल अनघोल... हे मुँह जुनि घुकचियाऔ.... सासुर .... स नै... सरकार.. जो रे अपाटक... गप छँटै मे जगजीता... अररनेवा के कहै पपीता... भरि दुनिया मे रेलगाड़ी पसरि गेलै आ ई लोक छोटकी लाइन में झिझिर कोना खेलाइत रहला सब हवाई जहाज मे उड़ लगलै त भरि मिथिला मे लोक नाच लगलै... बड़ी लाइन के गाड़ी एलै.. पीीीीपीीी... आब लिअ ने बुलेट ..... फुरफुर...फुर्र्रररररर....
----------------
की करअय छी...दनौरी खोंटै छी! आ धुर जाऊ... किछ त लाज करू...भरि जिनगी खोंटिते रह गेलौं.. कखनो दनौरी तो कखनो बड़ी आ सब टा बड़ी काँचे... गाम क लेखे ओझा बताह... ओझा लेखे गाम बताह... कपारे बौक त करम की करतनि... बस करैत रहू हाथ मे खुरपी काँख तर छिट्टा ... ओलती मे पेना डाँड़ मे चुनौटी फेर बाढ़ि एतै... मुदा तइ स की... बाढ़ि मे जतबा दहाय छै तै स बेसी ओकर राहत मे दहाय छै... मुट्ठी भरि चूरा आ एक ढेपा गुड़... जय बम भोले ... हरअ हरअ,,, घरअ घरअ... करैत रहब... धरअ धरअ त बोले ने फुटइए ,,, भरि कल्ला गुड़ चाउर... गोंगिआइत रहू बा पारू भोकार... फेर भोट हेतै. .. आह महमहमहमह... ताबे खोंटैत रहू...
----------------
जो रे ढहलेलबा ..... कहियो कि... तोरा... सोहारी के कहै छिही रोटी... गोटी के टबलेट... गीत के गाना ... गेल रही ने हरियाना.... देखलियै ने नवका रामहीम... ई बलचनमा ने घर रहा ने रहा बाहर.... घर मे छुछन्नर करै छैन उपद्रव.... बाहर मे मूस सिकंदर... कनखोजा कुकुर माँड़ै तिरपित... जनता वैदनाथ गामे-गामे ठाम-कुठामे बौआइत रहला इएह तरौनी की उएह बरौनी... एम्हर ठाढ़ी त ओम्हर गीदड़गंज... रे अन्हरा नै रे अन्नहारा...अन्नहारा स परायल फुलेसरा... ठाढ़े रहली फुलेसरी त भ गेलै अन्हरा ठाढ़ी... ई बत बौकी की सुनै छी.. तखनि त धन फुलेसरी जे डेबलक गाम... कहबौ त लगतौ छक सना .... सतर बरिस स इएहे सुराज कहतौ के जे खा लिअ बौआ टुप सना... ईह्ह बुड़ि क बखारी...... मधमनि में मूँग तकै छैथ ... खेरही कहैत जीह टुटै छैन .... करता धरता सुथन्नी ने टेबैत रहता गोटगर आम... सेबैत रहता बड़का दरबार घोंटैत रहता भाँग... मन के सँठता से नै त भजियाबै छैथ सोंटा... अबहि अइ बेर देबअ नोटा.... की करू बाबा बेदरि भेलै गाम ..... बउआ गेल बौआ... भेटलै ने कतौ ठाहर आ ने कोनो ठाम.. तखन त बुड़िया गेल बेटा आ हरा गेल लोटा... मुँह की देखै छियै मालिक देखियौ ने झोंटा... पित्ता गेल अइ मन ताँइ कहलिये अबहि अइ बेर देबअ नोटा...
------------------
हे देखै छी सबटा... खूब करै छी... सब बुझै छी... एक ठाम चित्ते ने टिकै छैन... जे बर इन्होर स ने नहाइथ से सती हुअ जाइथ... पुरुख सती ने होइ छै... इह ...बाबा..... बाबा रटिते करिते प्राण घिघिआइ छैन... मैथिली मे दंड पेलै छैथ ....ने तिरसठि बरिसक लालू साहू के चिन्है छथिन ने एफ़.एस. बाखरे के नाम सुनने छथिन्ह ने सलेमताबाद के लग पास गेला कहियो.... बुझथिन केना जे पुरुख सती होइ छै आ कि नै होइ छै... ई कोनो नीक गप नै मुदा अधलाहो त होइते छै.... मर ई कोन चीक्कन गप जे बौह के बियाहि क बिदा भ गेलौं कथि दनि क चरवाही में... जिनगी बिता देलौं फुसियाही क बहबाही मे... हे अखनो कहै छी... भरि जिनगी कचराही ... की बोला रे बोंघैया कचराही ने बुझता है... पढ़ेगा रेणु के तब ने समझेगा रे दुलरु कि कचराही का होता है.... फराठी आ लाठी मे अंतर भुझाइते ने छै.... कचाराही के सेबैत-सेबैत जमन बीत गेलेन ... की मजाल जे एक अछर ज सोझ स लपेटने होथि... आब चललाहए मदरटंग ... इह्ह... किदनि ने चलए त केरा क भार... हे टंगटंग करैत रहि जेब ... अंतकाल मे भखैथ रहब ... जो रे रोहैन ने घर रहा आ ने रहा बाहर,,, आह रे...ने पढ़ने छ रवि बाबू क घरे बाइरे... हे ने पढ़ने छी.... त गेले घर छी... सोचि लिअ... बुवबुल चलली खंजन क चालि, अपनो चालि लेलैन बिगाड़ि... की कचराही की मदरटंग... सब ऊटपटंग... डँड़ किल्ला स पोन खस्सा नीक आ तोरा स त सौगना नीक... जे इच्छा से कर... बिन मँगने देब त कने चून दअ दए... आ करैत रहू टंग-टंग... हे हे रे सब देखता् है... मालिकक खेत मे महिस ... रबाड़ि क देगा.... इहाँ कोनो हम टंग-टंग करने नै बइठे हैं.. एक रत्ती चून लए कते बकबकी... मालिक चलै माझे-माझे कात कतारे लागल चलए खबास...
-----------
लत्तियो को दोख आ लुत्तो क दोख... हे ई ने बुझियौ जे जान छोड़ि देब... ओकरा जकाँ... ईह्हह ... एक टा डेबले ने भेलैन... ई लुत्ता क झोरि देलखिन झोटा... खोलि देलखिन छुट्टा ... भरि गाम पसाहि लगबै लेल... ई त घरढुक्कना... बोतल... बोतल बिन ढाकैन... ने सूप ने कोनिया... भरि घर चालैने चालैन... हे लुत्ती लगाएल भ गेल हुए त आब बिसराम करू... ने माँड़ ने ताड़ी ... फुच्च-फुच्ची कथि के... कथी के एते फुच्च-फुच्ची... ने मालिक... अहाँ के नै यौ... अपन कपार पिटै छी... मैथिल क कपार ... अहा ... ई त इंडो-नेपाल.... हे हे... अइ पार स ओइ पार नीक आ ओइ पार स ई पार... ईह रे कपार... हाथी घोड़ा पालकी.... जै जै बौआलाल की... ने लत्ती ने लत्ता... नाचि एला कलकत्ता... लगले रहि गेल सेहनता... भरि पेट खइतौं... बिदापैत गबितौं... खूब धोलौं .. खूब मँजलौं... मोन रहि गेल अपैत क अपैते...छरपैत रहू... हे चुप करू... एतहि बसू... कतौ जुनि जाउ... तीत हुए वा मीठ बाड़ी क पटुआ खाऊ... हरअ हरअ... हरअ हरअ... धरअ धरअ...
------------------------------
कोन... भरसे काटि एलौं ... ई नाच कथी पर... आ कथी पर सिंगार... खालिए जखैन पेटो आ पेटारो... भरि जिनगी कटल अन्हारे मे ... आ बुझैत रहलखिन मालिक मलिकार... बाबू भैया कहैथ रहलखिन... चुप रह कनहा... देखै ने छीही हम सब बाँस क दोगे सुरुज उगबै छी ... रे कपर जरू... बेटा त गाम मे टिकबे ने केलौ... आ मोन के बुझबैत रहलें ... बुझबैत रहलएँ ... जे बिसुन रहै छैथुन तोरा झोरी मे... पढ़हुआ सब लागल रहला बिसुन-झोरी थियोरी में .... ओह गॉड पारटिकल...बोस-आइंस्टाइन त ओत पास... आ एत त झा ठाकुर परेकटिकल मे फेल... मगन तिसियौरी मे... जुनि जाह बिदेस... जुनि जाह बिदेस.... गबैत गबैत देसहि भेल बिदेस... हाथ आएल ने सुथन्नी ने सुथन्ना.... रहि गेल चकभक... खिज्जा कन्ना... छलौं कचहरिये... बद बिका गेल चौबन्नी मे... कपार पीटू मधमनि मे...बाँस क दोगे गीदर भुकैए... झोरी मे घुरघुर मूस करै... अहूँ खुस ... हमहू खुस... खुस रहू कि रहू खिसिआएल... गाउ पराती... जियावहु हे....परधान....
------------------
दाँत गेलैन बसही मे ... भरि दिन बैसि क खुटुर खुट्टुर सुपारी भंगै छैथ... भंगठि गेलैन मनोरथ क गाड़ी... उतरि गेलैन पहिया... नहि जानि बुझथिन कहिया.... हे कोहा मे चिक्कस नै,,, जाउ कतौ स चिक्कस आनू.... एकहि हाल... एक गाम माँगू तैयो एक तम्मा आ सात गाम माँगू तैयो एकहि तम्मा... बूझल बूझल नै सोहाइ छी...
------------------
हे हुनका पाछू की थथमारी करै छी... ओ चान पर पानि तकै छैथ... एत त घैले मे पानि नै... रौदी मे दाही... कि दाही मे रौदी की बुझथिन्ह... बुझैछथिन्ह बस उगाही.... उगाहते चलो... उगाहते चलो हते... जब तक घड़ा भर न जाए .. उगाहते चलो... मिथिला अपने भरोसे मालिक ... मैथिली कत स देती थैली... जो रे... कोतबलबा तोहर पतुरिया नाच नचेलकौ...
--------------------------














गुरुवार, 7 सितंबर 2017

सात सेहनते वाम दहिन, फाटल कोंढ़ सीबै छी

सात सेहनते वाम दहिन,
फाटल कोंढ़ सीबै छी
------------------------------------------------
सते त टुकुर टुकुर देखै छी हुकुर हुकुर जीबै छी
ने इस्स करै छी नै उस्स, लोक कहै कि जीबै छी

बिन छूनौ छनछनाई छी अपने मन स लीबै छी
अपने मन स डोलै छी आ बिन आगिए धीपै छी

लोक कहै जे अखज मरे ने छूतहर फूटे, जीबै छी
सात सेहनते वाम दहिन, फाटल कोंढ़ सीबै छी

काँच-पाकल जे भेटल से हबैक-हबैक क गिरै छी
किछ नै सूझे तैयो जे सदिखन आँखि के मिरै छी

सात सेहनते वाम दहिन, फाटल कोंढ़ सीबै छी
सते त टुकुर टुकुर देखै छी, हुकुर हुकुर जीबै छी

बुधवार, 6 सितंबर 2017

जो रे बस थैहर-थैहर


जो रे बस थैहर-थैहर
----------------------

खेती नै पथारी, बस थैहर-थैहर
रोजी नै रोगार, बस थैहर-थैहर

रस्ता विलोपित, बस थैहर-थैहर
नेतपन ललायित, बस थैहर-थैहर

मकान नैे दोकान, बस थैहर-थैहर
कनिया ने पुतरा, बस थैहर-थैहर

जो रे बतचबैना, बस थैहर-थैहर
मैथिल मिथिला, बस थैहर-थैहर

सरे त जे सरकार, बस थैहर-थैहर
गनुआ मनुआ सब, बस थैहर-थैहर

हेहरा पाछू गाछ, बस थैहर-थैहर
मालिक मलिकार, बस थैहर-थैहर

रे लोक नै लोकार, बस थैहर-थैहर
जो रे थैहर-थैहर, बस थैहर-थैहर